रेडियो सक्रियता



रेडियो सक्रियता (Radio Activity)




  सुविचार-

कामयाब लोग अपने फ़ैसले से दुनिया बदल देते है 
  और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फ़ैसले बदल लेते है।”



  • 1896 ई. में फ्रांस के वैज्ञानिक हेनरी बेकेरल ने रेडियो संक्रियता का आविष्कार किया था।
  • कुछ पदर्थों जैसे –यूरेनियम, थोरियम, रेडियम आदि स्वतः एक प्रकार की वेधी किरणें उत्सर्जित करते है।
  • ऐसे पदार्थों को रेडियो संक्रिय पदार्थ और पदार्थो का स्वतः वेधी किरणें उत्सर्जित करने का गुण रेडियो सक्रियता कहलाता है।
  • अल्फा ( α),बीटा (β),तथा गामा() किरणों का नामकरण 1902 ई. में लॉर्ड रदरफोर्ड ने किया था।


गुणधर्म
अल्फा(α) - किरणे
बीटा(β) -किरणें
गामा() - किरणें
प्रकृति
ये किरणे धनावेशित अल्फा कणों से मिलकर बन होती है
ऋणावेश कण वास्तव मे इलेक्ट्रान होते है।
विधुत चुम्बकीय,कम तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणें
वेग
प्रकाश के वेग का 10 वाँ भाग
प्रकाश के वेग के लगभग बराबर
प्रकाश के वेग के बराबर
द्रव्यमान
4 AMU अथार्त 6.67×10-24g
9.11×10-29g
शून्य
गतिज ऊर्जा
द्रव्यमान अधिक होने के कारण अधिक गतिज ऊर्जा
द्रव्यमान कम होने के कारण कम गतिज ऊर्जा
शून्य या नगण्य गतिज ऊर्जा
    वेधन शक्ति
ये किरणें 0.002 सेमी. मोटी अल्युमिनियम की चादर को वेध सकती है तथा इनकी वेधनक्षमता सबसे कम होती है।
अल्फा किरणों से 100 गुना अधिक वेधन क्षमता
ये किरणें 100 सेमी. मोटी एल्युमिनियम चादर को भी वेध सकती है।
विधुत क्षेत्र का प्रभाव
ऋणावेशित की ओर आकर्षित
धनावेशित की ओर आकर्षित
अप्रभावित
जिंक सल्फाइड प्लेट पर प्रभाव
प्रदीप्ति उतपन्न करती है
अल्फा कणों से कम प्रदीप्ति उतपन्न करती है
सबसे कम प्रदीप्ति देतीं है।
गैसो को आयनित करने की क्षमता
गामा किरणों से 10000 गुना अधिक
गामा किरणों से 100 गुना अधिक
कम आयनित
फोटोग्राफिक प्लेट पर प्रभाव
सबसे अधिक काला कर देती है
गामा किरणों से कम काला
बहुत कम काला


  • रेडियो संक्रियता की इकाई क्यूरी है
  • किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ की वह मात्रा  जो प्रति सेकंड 3.70×1010 करती है, क्युरी कहलाती है।
  • किसी तत्व के ऐसे समस्थानिक जिनके नाभिक स्वतः विघटित होकर संक्रिय किरणें उत्सर्जित करते है, रेडियोसक्रिय समस्थानिक कहलाते है।
  • सभी प्राकृतिक रेडियोएक्टिव किरणें उत्सर्जन के बाद सीसा में बदल जाती है।


  रेडियो सक्रियता के उपयोग ( Uses of Radioactivity )

  • नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से हाइड्रोजन बम बनता है।
  • नियंत्रित नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया से वैधुत ऊर्जा उतपन्न होती है।
  • रेडियोसक्रियता समस्थानिको का अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है जैसे –


रेडियोएक्टिव समस्थानिक
उपयोग
Na-24
रुधिर परिसंचरण तंत्र का  विकार ज्ञात करने में।
P-32
रुधिरकी खराबी से उतपन्न रोगों , कैंसर, ल्युकिमिया आदि के उपचार में
I-131
थायरॉयड ग्रन्थि का विकार ज्ञात करने में
Fe-59
अरक्तता का रोग ज्ञात करने में
Co-60
कैंसर के उपचारमें
C-14
अजीवी करबनिक वस्तुओ की आयु निर्धारित करने में तथा 
  • पृथ्वी और खनिज की आयु ज्ञात करने में यूरेनियम लेड डेटिंग का उपयोग होता है।
  • उद्योगों में इसका उपयोग अंदर दबे पाईपों से दूर स्थान पर तेल भेजने में होता है।
  • रेडियो कोबाल्ट तथा रेडियो टंगस्टन मशीनों में होने वाले क्रैक्स तथा हवाई जहाज के टूटने का पता लगाने में उपयोगी है।
  • वह नाभकीय प्रतिक्रिया जिसमे कोई एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है, नाभिकीय विखण्डन कहलाता है।

नाभकीय विखण्डन कीश्रंखलाप्रक्रिया दो प्रकार की होती है- 

  1. अनियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया–नाभिकीय विखण्डन क्रिया पर जब किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता है तोविखंडन क्रियाकि दरबहुत तीव्र होती है जिस कारण कुछ ही क्षणों में प्रचंड विस्फोट हो जाता है।
  2. नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया –इस श्रृंखलाप्रक्रिया में नाभिकीय विखंडन कृत्रिम उपाय द्वारा नियंत्रित रखा जाता है।
  • नियंत्रितविखंडन क्रिया मन्द चाल से होती है।
  • न्यूक्लियरमें न्यूक्लियर क्रियाऐ नियंत्रित परिस्थितियों में कराई जाती है।
  • वह नाभिकीय अभिक्रिया जिसमे दो हल्के नाभिक संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते है नाभिकीय संलयन कहलाती है।
  • हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित है।

नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग-

  • मानव समाज की सेवा में –नाभिकीय विखण्डन प्रक्रिया स्व प्रजननी होने के कारण ऊर्जा प्राप्त करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
  • इसकेउपयोग विधुत शक्ति उत्पादन में  होता है।


                   
             


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