राजस्थान के प्रमुख इतिहासकार | Rajasthan ke pramukh itihaskar


राजस्थान के प्रमुख इतिहासकार


राजस्थान के प्रमुख इतिहासकार



 1. कर्नल जेम्स टॉड

  • जन्म - 20 मार्च 1782 को इंग्लैण्ड के इस्लिंगटन नगर
  • में हुआ था।
  • राजस्थान इतिहास के पिता
  •  राजस्थान शब्द के प्रथम प्रयोकर्ता
  •  घोड़े वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध
  •  गुरु- ज्ञानचंद्र
  •  सर्वप्रथम राजपूताना मांडलगढ़ आये 
  •  सर्वप्रथम राजपूताना दक्षिण पश्चिमी राजस्थान के पोलिटिकल एजेंट के रूप में आए
  • 1817 - 1822 के मध्य ये मेवाड़ हाड़ौती क्षेत्र में पोलिटिकल एजेन्ट के पद पर रहे।


प्रसिद्ध पुस्तक- " एनल्स  एंड एक्टिविटीज ऑफ राजस्थान"

  •  अन्य नाम- सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया
  •  संपादक- विलियम क्रूक
  •  समर्पित- ज्ञानचंद्र
  • तीन खंडों में प्रकाशित

  1. 1829
  2.  1832
  3. 1839

  • इस पुस्तक में निम्न शब्दों का प्रयोग कर्नल जेम्स टॉड ने किया रायथान,  राजस्थान, रजवाड़ा
  • 1818 में कर्नल जैम्स टॉड के सहयोग से मेवाड़ महाराणा भीमसिंह ने अंग्रेजों से सहायक संधि की। 


2.  गौरीशंकर हीराचंद ओझा-


  •  जन्म -1863, रोहिडा गांव, सिरोही
  •  गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक "एनाल्स एंड एक्टिविटीज ऑफ राजस्थान' का हिंदी अनुवाद किया
  • -पश्चिमी राजपूताना का इतिहास प्रसिद्ध पुस्तक- प्राचीन भारतीय लिपिमाला
  •  गुरु- कविराजा श्यामलदास
  • गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने राजपूतों को वैदिक आर्यों की संतान बताया
  •  1911 में सर्वप्रथम सिरोही राज्य का इतिहास तथा बाद में क्रमशः उदयपुर, डूँगरपुर, बांसवाड़ा तथा बीकानेर राज्य का इतिहास लिखा।
  •    इन्हे प्रथम पूर्ण राजस्थान का इतिहासकार कहा जाता है।
  •    1914 में रायबहादूर की उपाधि मिली।
  •    मृत्यु - 17 अप्रैल 1947 रोहिड़ा गाँव


3.  कविराजा श्यामलदास-

  •  जन्म- 5 जुलाई 1836,  ढोकलिया गांव, भीलवाड़ा
  •  मेवाड़ महाराणा शंभू सिंह तथा सज्जन सिंह के दरबारी साहित्यकार
  • प्रसिद्ध पुस्तक- वीर विनोद
  •  इस पुस्तक में मेवाड़ का इतिहास मिलता है
  •  यह पुस्तक  चार खंडों में विभक्त है
  • महाराणा फतेहसिंह ने इस ग्रन्थ के प्रचलन पर प्रतिबंध लगाया


उपाधि –  
  • ब्रिटिश सरकार - केसर--हिन्द 
  •  मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह - कवि राजा तथा बाद में महामहोपाध्याय की उपाधि


  • 1893 में इनका देहान्त हो गया।




4.  सूर्यमल मिश्रण-


  •  जन्म स्थल-1815, हरणा गांव-बूंदी
  •  बूंदी के शासक राम सिंह के दरबारी साहित्यकार
  • प्रसिद्ध पुस्तकें-  वंश भास्कर, वीर सतसई, बलबुद्धि विलास, छन्दो मयूख, रामरंचाट, सती रासौ, धातु रूपावली 
  •  वीर सतसई -1857 की क्रांति
  •  वंश भास्कर- बूंदी के शासकों की वंशावली 
  • राजपूतों की उत्पत्ति के सिद्धांत का समर्थन सूर्यमल मिश्रण तथा मुहणौत नैणसी ने किया
  • मृत्यु - 1868




 6.  मुहणौत नैणसी-


 मारवाड़ के राठौड़ शासक जसवंत सिंह   के दरबारी साहित्यकार
मुंशी देवी प्रसाद ने इसे राजपूताने का अबुल फजल कहा
प्रसिद्ध पुस्तकें
 1.मारवाड़ रा परगना री विगत
2.नैणसी री ख्यात
नैणसी री ख्यात राजस्थानी भाषा (डिंगल) में लिखी गई है तथा इसमें राजपूतों की 36 शाखाओं , गुर्जर प्रतिहार की 26 शाखाओं तथा गुहिल राजपूतों की 24 शाखाओं का वर्णन किया गया है



6.  मुंशी देवी प्रसाद

  •  जन्म-18 फरवरी 1848 ,  जयपुर
  • प्रसिद्ध पुस्तकें राव मालदेव का जीवन चरित्र, मारवाड़ का भूगोल, प्रतिहार वंश प्रकाश
  •  इन्होंने बीकानेर के राठौड़ शासक शासक रायसिंह को राजपूताने का कर्ण कहा
  • इन्होंने मुंहनोत नैंणसी को राजपूताने का अबुल फजल कहा
  •  इन्होंने बाबरनामा, हुँमायूनामा, जहांगीरनामा, औरंगजेबनामा आदि फारसी ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया।
  • इनके द्वारा रचित स्वप्न राजस्थान आधुनिक राजपूत शासको के चरित्र का विषुद्ध रूप प्रस्तुत करता है।
  •   मृत्यु -  1923, जोधपुर



7.  विश्वनाथ रेउ-

  • इनका संबंध मारवाड़ रियासत से था 
पुस्तकें-
  •  हिस्ट्री ऑफ राष्ट्रकुट्स
  • कोईन्स ऑफ मारवाड़
  • भारत के प्राचीन राजवंश



8.  महाकवि माघ-  इनका संबंध भीनमाल क्षेत्र जालौर से रहा


9.   डॉ दशरथ शर्मा-

  • जन्म स्थल-चुरू

 पुस्तके
  • अर्ली चौहान डायनेस्टी
  • पृथ्वीराज चौहान तृतीय तथा उनका युग
  •  इन्होंने कालीबंगा को सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी बताया



10.  L. P. तेस्सितोरी-

  •  जन्म- 13 दिसम्बर 1887, इटली
  •  कर्मभूमि- बीकानेर
  •  गुरु- विजय धर्म सूरी
  • इन्होंने राजस्थानी चारण साहित्य के बारे में लिखा 
  • भाषा शास्त्री तथा लिंग्विस्टिक सर्वे आफ इण्डिया के लेखक जार्ज ग्रियर्सन के निमंत्रण पर L. P. तेस्सितोरी सर्वप्रथम भारत में 8 अप्रैल 1914 को दिल्ली आए।
  • दिल्ली से वे राजस्थान में सर्वप्रथम जोधपुर तथा बाद में बीकानेर राज्य में आए।
  • L. P. तेस्सितोरी ने राजस्थान चारण साहित्य ऐतिहासिक सर्वे नामक पुस्तक लिखी।
  • अपनी कार्यस्थली बीकानेर में ही इन्होंने दूसरा ग्रन्थ पष्चिमी राजस्थानी का व्याकरण लिखा।
  • मृत्यु - 22 नवम्बर 1919, बीकानेर
  • स्मारक - बीकानेर



अन्य साहित्यकार-



 शिवचन्द भरतिया
  
उपन्यास - कनक सुन्दर (राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास)

   नाटक - केसर विलास (राजस्थानी भाषा का प्रथम नाटक)


मणि मधुकर-


 उपन्यास - पगफैरोंसुधि सपनों के तीर
नाटक - रसगंधर्वखेला पालमपुर


    जगदीश सिंह गहलोत


  •  जन्म -  1903
  •  इन्होंने तीन खण्डों में राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास लिखा।
  • मृत्यु - 1958

 विजयदान देथा 


    उपन्यास - तीड़ो रावमां रौ बादलौ
   
कहानी - अलेखूँहिटलरबातां री फुलवारी


 यादवेन्द्र शर्माचन्द्र

  • उपन्यास - हूँ गौरी किण पीवरी, जनानी ड्योढ़ी, हजार घोड़ों का सवार
  • नाटक - तास रो घर
  • कहानी जमारो

 रामनाथ रतनू-



  •  जन्म सीकर1860 
  • रचना - राजस्थान का इतिहास
  • मृत्यु - 1910 

    सीताराम लालस - राजस्थानी शब्द कोष


    कन्हैयालाल सेठिया - पातल और पीथलधरती धोरां री

    
हरिराम मीणा हाँचाँद मेरा है


    लक्ष्मी कुमारी चुँड़ावत  - मँझली रातमूमलबाघो भारमली


    रांगेय राघव - धरौंदे, मुर्दों का टीला, कब तक पुकारूँ, आज की आवाज

    मेघराज मुकुल सैनाणीधरती रो सिणगार

    श्री लाल नथमल जोशी - आभैपटकी, एक बीणनी दो बींद

     चन्द्रसिंह बिरकाली - बादली, लू

    



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